हमारे बारे में

लोहार.भारत क्या है?
लोहार.भारत शिल्पकार लोहार समुदाय के उपकरणों और तकनीकी ज्ञान, विज्ञान, इतिहास और उनके शिल्प कौशल के परिणाम तथा प्रकृति में भूमिका का एक ऑनलाइन संग्रहकोश है. जो ज्ञान को बाँटने एवं उसका प्रसार करने में विश्वास रखता हैं. जिसमे दुनिया भर में कोई भी व्यक्ति अपनी जानकारी की लेखों का योगदान हिंदी/अंग्रेजी में दे सकता हैं.

शिल्पकार समूह के मूलसमुदाय जो उच्च स्तरीय कौशल और समदर्शिता का प्रतीक हैं. जिसने लोहे का खोज किया और दुनिया को लोहा गलाने का ज्ञान दिया. इसी ज्ञान से कालांतर में स्टील बना और इंसानी समाज ने विकास के नए युग में छलांग लगाई. जिसने हजारों वर्ष पूर्व सामाजिक आवश्यकताओं और अपेक्षाओं की पूर्ति का सरल और व्यावहारिक समाधान खोजा, जिससे कि लोगों के जीवन को सुधारा जा सका. जो समाज के समस्याएं हल करने वाले के रूप में भी कई भूमिकाएं निभाता है. और अधिक जानें

लोहार के उपकरण और तकनीकी ज्ञान, विज्ञान और उच्च स्तर के शिल्प कौशल के परिणाम जैसे-
दिल्ली में जंग मुक्त लौह स्तंभ, मध्य प्रदेश में धार लौह स्तंभ, कोनार्क में लोहे के बीम, दिल्ली और थंजावुर गन इत्यादि पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं और लोहार अपना काम करते समय सभी को समान दृष्टि से देखता, सबके साथ समान व्यवहार करता, किसी प्रकार का भेदभाव न रखता हैं. अतः लोहार को उच्च स्तरीय कौशल और समदर्शिता के प्रतीक कहा गया हैं. और अधिक जानें

मैं लोहार.भारत पर अपना लेखों का योगदान क्यों दूँ, इससे मुझे क्या लाभ मिलेगा?
लोहार.भारत एक ऐसा संग्रहकोश है जिसे मैं, आप एवं हम सब; अपने योगदान से चलाते है. लोहार समुदाय के उपकरणों और तकनीकी ज्ञान, विज्ञान और उनके शिल्प कौशल के परिणाम तथा प्रकृति में भूमिका का संग्रह सुरक्षित रखने का यह हम सब का एक सामूहिक प्रयास है. वैसे भी ज्ञान तो बाँटने से ही ज्ञान बढ़ता है. तो क्या आप अपने ज्ञान का प्रसार नहीं करना चाहेंगे? लौहकार के लौह धातु शिल्प ज्ञान, कला और प्रकृति में भूमिका के अपने ज्ञान को हम जो सदियों से न बाँटने के कारण लुप्त होता जा रहा है. अब आप लोहार.भारत पर अपने लौहकार से संबंधित महत्त्वपूर्ण ज्ञानार्जन को लेख बनाकर सुरक्षित रख पाएंगे. अन्यथा समय के साथ आपके द्वारा परिश्रम से एकत्रित किया गया ज्ञान क्षीण होता-होता लुप्त हो जायेगा. जिसे पुन: प्राप्त करने में आप कदाचित उतना प्रयास या परिश्रम नहीं लगा पाएंगे. यदि इस सामूहिक प्रयास में हम सब अपना ज्ञान बाँटेगें तो इससे लौहकार के उपकरणों और तकनीकी ज्ञान, विज्ञान और उनके शिल्प कौशल और प्रकृति में भूमिका के ज्ञान का एक ऐसा जलाशय बन जाएगा जिससे हम ही नहीं अपितु हमारी आने वाली पीढ़ियां भी अपनी ज्ञान को आगे और विकसित कर पाएंगी. जिससे हमारे देश का नाम पूरे विश्व में और उच्च शीर्ष पर पहुचेगा. इसलिए आप अपना योगदान जरूर दीजिए.

मैं लोहार.भारत पर अपना लेखों का योगदान कैसे दे सकता हूँ?
लोहार.भारत पर अपना लेख/लेखों के योगदान देने के लिए इस प्रारूप में ईमेल कर सकते हैं। यहाँ क्लिक करें

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